गया:- हाल ही में एक मीडिया वार्ता में बिहार के अज्ञानी शिक्षामंत्री का रामचरितमानस पर दिया गया बयान बेहद ही शर्मनाक है । आश्रम के सभी छात्रों ने इस बयान के विरोधस्वरूप शिक्षामंत्री का पुतला लहराया ।
राजेंद्र संस्कृत आश्रम मानपुर के वरिष्ट छात्र ने कहा की शिक्षामंत्री या तो श्रीरामचरित मानस को अच्छी तरीके से नहीं जाने या फिर हिंदू समाज में उन्माद फैलाने के लिए इस प्रकार का कुत्सित प्रयास किया गया है। यही बयान क्या कभी मुस्लिम धर्म के विषय में बोल सकते हैं क्या वो यह कह सकते हैं की कुरान में कट्टरता और जिहादी बाते को रखा गया है ।
आश्रम के संचालक स्वामी वामन भगवान ने कहा की श्रीरामचरितमानस केवल ग्रंथ मात्र नहीं है मानस सभी वर्गों , वर्णों एवम प्राणिमात्र के कल्याण के लिखा गया ग्रंथ है ।मानस के पंक्तियों को तोड़ मोड़कर प्रस्तुत करने वालों को पहले मानस के तत्व को जानना चाहिए।
मानस के पंक्तियों को तोड़ मोड़ कर प्रस्तुत किया जाता है पहली बार 1810 ईस्वि में कोलकाता प्रकाशन में …
“ढोल गंवार क्षुद्र पशु मारी !
सकल ताड़ना के अधिकारी! इस पंक्ति को तोड़ मोड़कर कालांतर में क्षुद्र को शुद्र तथा पशु मारी को “पशु नारी” बना कर पेश किया जा रहा है । जो की बिलकुल गलत है । राम ने जाति के सबसे निचले व्यक्ति केवट को गले लगाते हैं , एक दलित आदिवासी भीलनी सबरी के जूठे बेर के लिए पहुंच जाते हैं, राम का आदर्श सबके लिए प्रेरणाप्रद है। आश्रम के छात्र हरी ओम शर्मा ने कहा की श्रीरामचरितमानस प्रेम सद्भाव का श्रेष्ठ काव्य है । गुजरात से पधारे संत वेंक्टेशाचार्य जी ने कहा की = शिक्षामंत्री पहले खुद अविलंब शिक्षा ग्रहण करें इस प्रकार के बयान से वे अपनी अनभिज्ञता को बता रहे हैं ।
गया से अमित शर्मा की रिपोर्ट