सत्येंद्र शर्मा जी ने शराबबंदी पर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बिहार में शराबबंदी नाम की कोई चीज नहीं । शराब की तो होम डिलीवरी हो रही है । शराब के धंधे में आज बच्चे, नौजवान युवा एवं महिलाएं भी शामिल है, जिनका भविष्य चौपट हो रहा है । हमें इन लोगों की भविष्य की चिंता है लेकिन सरकार को नहीं।
सत्येंद्र शर्मा जी ने कहा कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति पूरी तरह फेलियर है और यह सिर्फ गरीब, दलित, वंचित समाज के लोगों को परेशान करने वाली है । जिनके घर में शराब लोग नहीं पीते शराब के बारे में जानते भी नहीं उन गरीब परिवारों को भी शराबबंदी के नाम पर परेशान प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। शराब बंदी की समीक्षा होनी चाहिए । शराब बंदी के नाम पर गरीबों को परेशान किया जा रहा है जो कहीं से उचित नहीं ।
सत्येंद्र शर्मा ने जातीय जनगणना के सवाल पर कहा कि जातीय जनगणना होने से जनता को लाभ मिलना चाहिए लेकिन बिहार के माननीय मुख्यमंत्री जातीय जनगणना के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। जातीय जनगणना होने से क्या लाभ होगा पहले माननीय मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए।
सत्येंद्र शर्मा जी ने कहा कि जातीय जनगणना के साथ-साथ हमारे राज्य से कितने लोग बाहर काम करते हैं, कितने लोग मैट्रिक और ग्रेजुएशन हैं किस जाति और समाज से, कितने लोगों के पास अपना घर है, सरकार ने
इंदिरा आवास के लिए जो जमीन का पर्चा दिया उन पर कितने लोगों का घर बना या नहीं, किस जाति के बच्चे कितने सरकारी स्कूल में कितने प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं, किस जाति समाज में कितने शिक्षित युवा बेरोजगार हैं इन सभी की गणना होनी चाहिए। जातीय जनगणना के साथ-साथ उपरोक्त विषयों की भी सूची बननी चाहिए । जब तक हम गरीबों की मूलभूत संरचनाओं की कमी की गणना नहीं करेंगे तब तक हम उनका विकास कैसे कर पाएंगे ।