नालंदा संवाददाता कौशल मणि सिंह
हिलसा नालंदा:- जैव विविधता अलग-अलग तरह की वनस्पतियों एवं जानवरों का संग्रह है जो एक ही विशेष क्षेत्र में रहते या फैले हुए है। जैव विविधता जितनी समृद्ध होगी उतना ही सुव्यवस्थित और संतुलित हमारा वातावरण होगा। अलग-अलग तरह की वनस्पति तथा जीव-जंतु भी धरती को रहने के योग्य बनाने के लिए अपना योगदान देते है। इंसान के जीवन के पीछे भी जैव विविधता का ही हाथ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग जंतु और पेड़-पौधे ही मिलकर मनुष्य की मूलभूत जरूरतें पूरी करने में सहायता करते है।पिछली कुछ शताब्दियों में कई वनस्पति एवं जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हो गयी है और आने वाले समय में कई लुप्त होने की कग़ार पर है।
यह जैव विविधता के लिए ख़तरे का संकेत है। जैव विविधता प्रकृति का उपहार है। इसी से सृष्टि है, इसी से खुशियां यह आने वाली पीढ़ियों के लिए सौगात है, जिसे संजोकर रखने की चुनौती भी।इसी को ध्यान में रखते हुए इसके प्रति गांव-गांव तक जागरूकता के लिए पंचायतों में जैव विविधता प्रबंधन समिति का गठन पिछले साल नवंबर माह में किया गया था।
जिनका कार्य था अपने-अपने पंचायत के जैव विविधता यथा पक्षी, पेड़-पौधे, मिट्टी, फसल इत्यादि के बारे में जानकारी एकत्र करके उसका एक पीबीआर(पीपल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर) बनाना ताकि आने वाली पीढ़ी को अपने यहां के जैव विविधता के बारे में जानकारी मिल सके तथा उसके संरक्षण के लिए कुछ उपाय किए जाएं। अब विज्ञान एवं पर्यावरण विषय से स्नातक, परस्नातक या पीएचडी में उत्तीर्ण या अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को इसके सत्यापन तथा अद्यतन का दायित्व दिया गया है। इसके लिए चयनित छात्र-छात्राओं को पंजी की जांच से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया था।
प्रशिक्षण बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद के सचिव डा. के. गणेश, उप निदेशक सुनील कुमार सिन्हा और ज्योलाजिक सर्वे आफ इंडिया के बिहार प्रभारी डा. गोपाल शर्मा ने दिया था।इसे अद्यतन करने के साथ ही 23 मई से 4 जून के बीच सत्यापन भी किया जाएगा। बिहार की 8058 पंचायतों में 7890 में समिति का गठन हो चुका है। इनमें 400 पंचायतों की पंजी की जांच का दायित्व छात्र-छात्राओं को दिया गया है।इसी संबंध में आज हिलसा प्रखंड के पंद्रह पंचायत और करायपरसुराय प्रखंड के सात पंचायत परास्नातक उत्तीर्ण छात्रा नालंदा जिले के प्रखंड कराई परसुरई निवासी पटना साइंस कॉलेज की छात्रा रितिका कुमारी के द्वारा हिलसा प्रखंड के पंचायतअरपा,अकबरपुर,अषाढ़ी,ईनौत,कावा,कामाता,कोरवा,जुनियारी,पुना,बारा,मिर्जापुरी,योगीपुरी,चिकसौरा, रेडीऔर कराई परसुरई, मकदुमपुर, बेरथू डियावा, मकरौता, गोंदू विगहा साध प्रखंड विकास पदाधिकारी जानकारी देते हुए सभी संबंधित पंचायत भवन में क्रमशः पंचायत प्रमुख (मुखिया) अध्यक्ष एवं पंचायत सचिव तथा अन्य सदस्यों की मौजूदगी में जैव विविधता पंजी का सत्यापन तथा अद्यतन का कार्य संपन्न किया गया। सत्यापन के पश्चात पंजी पर पंचायत सचिव एवं अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षर किया गया तथा जिओ टैग्ड फोटो को बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद में भेजा गया। साथ ही ग्रामीणों को मोटे अनाज को अपने खान-पान में शामिल करने तथा जल संरक्षण के विधियों और जरूरत के बारे में जानकारी दिया गया।
छात्र को 31 बिंदुओं पर किया जा रहा है
अध्ययन पलायन करने वाले लोगों की संख्या के साथ फसलीय पौधे, फलदार पौधे, चारे की फसलें, खर पतवार, फसलों के कीट, पालतू जानवरों के लिए बाजार, भूमि की स्थिति, जल दृश्य, मिट्टी के प्रकार, फलदार वृक्ष, औषधीय पौधे, सजावटी पौधे इमारती लकड़ी के पौधे, पालतू जानवर, मत्स्य पालन, पालतू जनवर सहित अन्य तरह के बाजार व मेला, वन्य जैव विविधता (वृक्ष, झाड़ियां, जड़ी-बूटी, कंद, पास लताएं आदि), महत्वपूर्ण वन्य पौधों की प्रजातियां जलीय जैव विविधता, महत्वपूर्ण जलीय वन्य पौधों की प्रजातियों, औषधीय उपयोग वाले वन्य पादप, फसलों के जंगली संबंधी, सजावटी पौधे, चबाने वाले पौधे, प्रकाष्ठीय पौधे, अन्य जंगली पौधे वन्य प्राणी (स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप, उभयचर, कीट अन्य), वनस्पतियां, जीव- जंतु और स्थानीय महत्व की अन्य सूचनाएं अध्ययन में शामिल हैं।