जहानाबाद सदर अस्पताल में आम मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं है अल्ट्रासाउंड की सुविधा

जहानाबाद सदर अस्पताल में केवल गर्भवती महिलाओं के लिए ही अल्ट्रासाउंड कराने की सुविधा उपलब्ध है. आम मरीजों का अल्ट्रासाउंड यहां नहीं होता है, जिसके कारण यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
सदर अस्पताल में केवल गर्भवती महिलाओं के लिए ही अल्ट्रासाउंड कराने की सुविधा उपलब्ध है. आम मरीजों का अल्ट्रासाउंड यहां नहीं होता है, जिसके कारण यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस
अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की मशीन भी है और उसे ऑपरेट करने वाले ऑपरेटर भी हैं किंतु यह सुविधा केवल गर्भवती महिलाओं को ही उपलब्ध कराई जाती है.

आम मरीजों को यह सुविधा नहीं मिलती है. यहां तक की गर्भवती महिलाओं को छोड़कर अन्य महिलाओं को भी यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. जबकि महिलाओं में बच्चेदानी में सिस्ट और इन्फेक्शन की समस्या आम है.

30 वर्ष के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं में यह समस्या देखने को मिलती है. इसका पता अल्ट्रासाउंड से ही लगाया जा सकता है बच्चेदानी की सिस्ट और यूट्रस में इन्फेक्शन बहुत ही खतरनाक बीमारी है. अगर समय पर इसकी पहचान ना हो और इलाज नहीं कराया जाए तो यह बच्चेदानी के कैंसर में तब्दील हो जाता है जिससे महिला की जान भी जा सकती है. इसके बावजूद महिलाओं को अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती
सदर अस्पताल में इलाज कराने आने वालों में बहुत सारे ऐसे मरीज होते हैं जो गंभीर रोग से ग्रसित होते हैं और उन्हें अल्ट्रासाउंड कराने की सख्त आवश्यकता होती है. इनमें किडनी और गाल ब्लैडर में स्टोन वाले मरीज, गैस्टिक, फैटी लीवर और पेट की समस्या से जूझ रहे मरीज अपेंडिसाइटिस और किडनी रोग से ग्रसित मरीज शामिल है. इन सभी रोगों की पहचान अल्ट्रासाउंड के बाद ही की जा सकती है.
सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को छोड़कर अन्य मरीजों के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण चिकित्सक ऐसे रोगियों को जिन्हें अल्ट्रासाउंड कराने की सख्त आवश्यकता है, बाजार से अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं. प्राइवेट में अल्ट्रासाउंड कराने पर एक हजार रुपये से अधिक का खर्च आता है. ऐसे में साधन संपन्न मरीज तो बाजार से महंगे अल्ट्रासाउंड करा कर अपना इलाज करा लेते हैं, लेकिन गरीब मरीज चाह कर भी बाजार से अल्ट्रासाउंड नहीं करा पाते हैं. वे यूं ही दवा खा-खा कर अपनी बीमारी बढ़ाने को विवश होते हैं.

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